Monday 13 February 2012

मुहब्बतों से भरा वो जहाँ छोड़ आये

अपने     पीछे   यादों    के      निशां       छोड़   आये,
मुहब्बतों   से    भरा    वो       जहाँ   छोड़        आये |

मंजिल   पर    आकर   देखा  जो   सामान   -ए -सफ़र,
हर   चीज़       थी,    दिले      नादाँ      छोड़      आये|

जिसने    बदल     दिया    उनवान       ज़िन्दगी      का,
वो           हमनशीं,           मेहरबां      छोड़       आये|

वादियाँ  कोहसार , दश्त-ये पराश  , खूबसूरत  आबशार,
शाम        सुहानी,   सुबह     ,बहारां       छोड़     आये|


क्या    बताऊँ       दोस्तों  क्या  -क्या       छोड़    आये|
तस्कीन    -ए- दिल,       राहत   -ए-   जां,   छोड़  आये,

रौनक    थी जिनके दम से  बज्म-ए-हस्ती में   "क़सीम"
वो नूर   -ए-मुज्जसम , हुस्न     -ए- जाना   छोड़  आये.





Tuesday 7 February 2012

मेरी सोचों पे यह किसका पहरा है आजकल


मेरी  सोचों   पे   यह   किसका  पहरा   है    आजकल,
किताब-ए-ज़िन्दगी के  हर  वरक पर तेरा  चेहरा है    आजकल.

आजकल    मुझे    यह    क्या  हो रहा है, तुम्हें कुछ मालूम है,
जागती    आँखों    में    एक   ख्वाब  सुनहरा  है  आजकल.

मेरे   हर     एक    शेर     में    तुम्हारी   तस्वीर उभर आती  है,
मेरी    ग़ज़लों    से      तुम्हारा    रिश्ता     गहरा   है  आजकल.